ऑल इंडिया लोको रनिंग स्टाफ एसोसिएशन—AILRSA, दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे ने आज अपनी लंबित मांगों को लेकर 48 घंटे के उपवास और शांतिपूर्ण धरने की शुरुआत कर दी।
रायपुर मंडल के बीएमवाई चरोदा स्थित रनिंग स्टाफ कार्यालय के सामने बड़ी संख्या में लोको पायलट, सहायक लोको पायलट और रनिंग स्टाफ के कर्मचारी एकजुट हुए और अपनी आवाज़ बुलंद की।
संघ के पदाधिकारियों ने साफ कहा कि यह आंदोलन रनिंग स्टाफ के अधिकारों, सुरक्षा और सेवा शर्तों में सुधार की मांग को लेकर किया जा रहा है। कर्मचारियों का कहना है कि लगातार बढ़ते कार्यभार, अपर्याप्त सुविधाओं और रिक्त पदों के कारण उन पर मानसिक और शारीरिक दबाव बढ़ता जा रहा है।
धरने के दौरान कई प्रमुख मांगें जोर-शोर से उठाई गईं—
माइलेज भत्ते में TA के सापेक्ष 25% की वृद्धि, माइलेज दर के 70% हिस्से को आयकर से मुक्त किए जाने की मांग दोहराई गई। साथ ही NPS/UPS को समाप्त कर पुरानी पेंशन बहाल करने की भी जोरदार मांग की गई।
बहु-लाइन और ऑटो सिग्नलिंग सेक्शन में 6 घंटे की अधिकतम ड्यूटी लागू करने, SECR में लोको पायलट संवर्ग के 4541 रिक्त पदों को जल्द भरने और साप्ताहिक विश्राम PR को 16+30 घंटे निश्चित किए जाने की मांग भी सामने आई।
रनिंग स्टाफ का कहना है कि लगातार दो से अधिक रात्रि ड्यूटी लेना न सिर्फ थकान बढ़ाता है, बल्कि इससे सुरक्षा पर भी असर पड़ता है। इसी कारण रात्रिकालीन कार्य को नियंत्रित करने की आवश्यकता है।
इंजनों में सभी सुरक्षा उपकरणों—विशेषकर FSD—की अनिवार्य उपलब्धता, साइको फेल LP/ALP की वेतन कटौती से जुड़े आदेशों को रद्द करने और ALP को भी रिस्क भत्ता देने की बात उठाई गई।
कर्मचारियों ने यह भी मांग की कि हर दुर्घटना की जांच निष्पक्ष रूप से हो और ऐसे उपाय किए जाएं जिससे “शून्य SPAD” यानी बिना किसी सिग्नल पासिंग डेंजर की स्थिति सुनिश्चित हो सके।
धरना स्थल पर मौजूद कर्मचारियों ने एक बार फिर यह संकल्प दोहराया—
“रेल संरक्षा—हमारा प्रथम लक्ष्य।”
कर्मचारियों को उम्मीद है कि प्रशासन उनकी मांगों पर जल्द सकारात्मक निर्णय लेगा।

