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19 Nov 2025, Wed

सहकारी समिति हड़ताल में उबाल… पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल धरने में शामिल

छत्तीसगढ़ में सहकारी समिति कर्मचारियों की हड़ताल अब उबाल पर है। लगातार 14 दिनों से चले आ रहे इस आंदोलन ने आज बड़ा मोड़ ले लिया… जब कर्मचारियों और अधिकारियों ने सामूहिक रूप से अपना स्टीफा सौंप दिया।

दुर्ग संभाग के सभी जिलों से आए 1500 से अधिक कर्मचारी और अधिकारी राजधानी में डटे हुए हैं… और अपनी चार सूत्री मांगों को लेकर सरकार पर दबाव बनाए हुए हैं।

इसी बीच आज धरना स्थल पर पहुँचे पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, कांग्रेस के कई विधायकों के साथ। उन्होंने कर्मचारियों के समर्थन में सरकार पर जमकर निशाना साधा।

भूपेश बघेल ने कहा कि—
“कर्मचारियों की मांगें पूरी तरह जायज़ हैं… और सरकार को उन्हें तुरंत स्वीकार करना चाहिए।”

उन्होंने कंप्यूटर ऑपरेटरों की सेवा अवधि घटाने को लेकर भी भाजपा सरकार को घेरा।
बघेल ने कहा कि उनकी सरकार के दौरान ऑपरेटरों की सेवा अवधि 9 महीने से बढ़ाकर 12 महीने कर दी गई थी…
लेकिन वर्तमान सरकार ने इसे दोबारा घटाकर 6 महीने कर दिया… जिसे उन्होंने ‘तुग़लकी फ़रमान’ करार दिया।

पूर्व मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि—
“एक तरफ किसान अपनी फसल लेकर समितियों में आने वाले हैं… धान जमा करने की तैयारी कर रहे हैं… वहीं सरकार के गलत फैसलों ने एग्रो स्टेट में पंजीयन को अनिवार्य कर दिया है… जिससे हजारों, लाखों किसान प्रक्रिया से बाहर हो रहे हैं। लाखों हेक्टेयर का धान बिकने से छूट जाएगा, जो बेहद गंभीर स्थिति है।”

उन्होंने ‘सुखद’ मामले की रिकवरी सोसाइटियों से करने पर भी सवाल उठाते हुए कहा—
“अगर यह रिकवरी समितियों से हुई… तो सहकारिता की पूरी व्यवस्था ही खत्म हो जाएगी।”

दूसरी तरफ सरकार भी इस मामले में एक्शन मोड में दिखाई दे रही है। आंदोलन का प्रतिनिधित्व करने वाले कई लोगों को बर्खास्त किया जा चुका है।

वहीं संगठन के सदस्यों का कहना है—
यदि उनकी चार सूत्री मांगें पूरी नहीं होतीं…
तो आंदोलन और तेज़ किया जाएगा।

गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ में धान खरीदी प्रक्रिया 15 नवंबर से शुरू हो चुकी है… और व्यवस्थाएं प्रभावित न हों, इसके लिए प्रशासन ने दूसरे विभागों के कर्मचारियों को भी खरीद केंद्रों में लगाया है।

लेकिन लगातार बढ़ती हड़ताल और सामूहिक स्टीफे ने सरकार की चिंता और बढ़ा दी है।

By editor